Hydrogen Car vs Electric Car: किसका होगा Future Bright?

Mr Vishal Ojha
On: August 24, 2025 4:34 AM
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Hydrogen Car vs Electric Car : जैसा की आप सभी लोग जानते है की आज कल हमारे देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदुषण एक बड़ी समस्या है। और पेट्रोल आधारित व्हीकल इसकी मुख्य वजह है . अगर आने वाले समय 2030 के आस पास इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन कार या व्हीकल भारत के ऑटो मोबाइल सेक्टर पर कब्ज़ा कर लेते है , तो इसे काफी हद तक वातावरण को बचाया जा सकता है .

Hydrogen Car vs Electric Car

लेकिन आज के इस आर्टिकल में हम आपको दोनों वाहनों के तुलनात्मक अध्यन की जानकारी देने वाले है. इनको लेकर विभिन्न पहलुओं पर इस आर्टिकल में बात करेंगे . चलिए शुरुआत से शुरू करते है . जैसा की हम सभी लोग जानते है कि आजकल पर्यावरण की चिंता सबको सता रही है।

पेट्रोल-डीजल वाली गाड़ियां धुआं उगलकर हवा को गंदा कर रही हैं, और ग्लोबल वॉर्मिंग का खतरा बढ़ता जा रहा है। और ओजोन परत को लगातार नुकसान पहुँच रहा है . ऐसे में, लोग नई तकनीक वाली कारों की तरफ देख रहे हैं। दो बड़ी दावेदार हैं – हाइड्रोजन कार और इलेक्ट्रिक कार।

सवाल ये है कि इनमें से किसका भविष्य ज्यादा चमकदार होगा? क्या हाइड्रोजन कार बाजी मार लेगी या इलेक्ट्रिक कार ही राज करेगी? चलिए, इस पर गहराई से बात करते हैं। ये आर्टिकल उन लोगों के लिए है जो कार खरीदने से पहले सोचते हैं कि कौन-सी तकनीक लंबे समय तक टिकेगी और पर्यावरण के लिए बेहतर होगी।

इलेक्ट्रिक कार क्या है और ये कैसे काम करती है?

दोनों के तुलनात्मक अध्यन करने से पहले आपको यह समझना जरुरी है कि दोनों काम कैसे करती है ? सबसे पहले इलेक्ट्रिक कार की बात करते हैं। ये वो गाड़ियां हैं जो बैटरी से चलती हैं। बैटरी में बिजली स्टोर होती है, और वो मोटर को पावर देती है। टेस्ला जैसी कंपनियां इलेक्ट्रिक वेहिकल पर काम कर रही है। और भारत में भी टाटा नेक्सॉन ईवी जैसी कारें चल रही हैं।

इलेक्ट्रिक कार क्या है और ये कैसे काम करती है

इसके लिए भारत में मेट्रो शहरों भी चार्जिंग स्टेशन तैयार कर दिए गए है। स्टेशन पर प्लग लगाते ही कुछ ही घंटो में आपकी कार की बैटरी चार्ज हो जाती है . कोई धुआं नहीं, कोई शोर नहीं। लेकिन बैटरी बनाने में लिथियम जैसी चीजें लगती हैं, जो खदानों से निकाली जाती हैं। ये पर्यावरण को थोड़ा नुकसान पहुंचाती हैं, पर कुल मिलाकर इलेक्ट्रिक कारें क्लीन एनर्जी का अच्छा विकल्प हैं।

मैंने हाल ही में एक दोस्त से बात की, जो इलेक्ट्रिक कार चला रहा है। वो कहता है, “भाई, पेट्रोल पंप जाना भूल गया हूं। घर पर चार्ज करो और निकलो।” लेकिन समस्या ये है कि चार्जिंग टाइम ज्यादा लगता है – कम से कम 30 मिनट से 5 घंटे तक। और अगर बैटरी खत्म हो गई तो रोड पर फंस सकते हो।

हाइड्रोजन कार कैसे काम करती है ?

अब बात हाइड्रोजन कार की करते हैं। ये फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी पर चलती हैं। FCV (फ्यूल सेल व्हीकल ) के अंतर्गत हाइड्रोजन गैस को भरने के लिए एक टैंक होता है। जिसमे हाइड्रोजन गैस होती है . इसकी क्रिया ऑक्सीजन से मिलकर बिजली बनाती है। जब अपने साइंस में पढ़ा होगा , की H2 + O2 + 2H2O होता है। यानि की बायप्रोडक्ट सिर्फ पानी होता है – कोई प्रदूषण नहीं होता है . और इसके लिए हाइड्रोजन गैस को बनाना भी आसान होगा . क्यूंकि इसको पानी की सहायत से ही बनाया जा सकता है .

हाइड्रोजन कार कैसे काम करती है

Toyota मिराई जैसी कारें जापान में चल रही हैं, और भारत में भी पिछले साल संसद भवन तक हाइड्रोजन कार से सफर किया था . इसलिए इसकी टेस्टिंग भी टेस्टिंग हो रही है। हाइड्रोजन गैस को कार में भरने में लगभग सिर्फ 3-5 मिनट का समय लगता है. जो की पेट्रोल को भरवाने के समय जितना ही है . एक बार फुल टैंक से 500-600 किलोमीटर तक चल सकती है।

पर हाइड्रोजन कहां से आएगी? अभी ये प्राकृतिक गैस से बनाई जाती है, जो थोड़ी महंगी और प्रदूषण वाली है। लेकिन अगर ग्रीन हाइड्रोजन (सोलर या विंड से बनी) इस्तेमाल हो, तो ये परफेक्ट हो जाएगी। विशेषज्ञ कहते हैं कि हाइड्रोजन कारें ट्रकों और बसों के लिए ज्यादा सूटेबल हैं, क्योंकि बैटरी उनमें बहुत भारी हो जाती है।

दोनों की ताकत और कमजोरियां

चलिए, अब दोनों को आमने-सामने रखकर देखते हैं। मैंने कुछ पॉइंट्स जुटाए हैं, जो असल जिंदगी के अनुभवों पर आधारित हैं।

  • रेंज और रिफिलिंग: इलेक्ट्रिक कार की रेंज 300-500 किमी होती है, लेकिन चार्जिंग में समय लगता है। हाइड्रोजन कार में रिफिलिंग तेज है, रेंज भी अच्छी। अगर लंबी ट्रिप पर जाना हो, तो हाइड्रोजन बेहतर लगती है।
  • पर्यावरण असर: दोनों ही क्लीन हैं, लेकिन इलेक्ट्रिक कार की बैटरी रिसाइक्लिंग मुश्किल है। हाइड्रोजन अगर ग्रीन हो, तो ये जीरो एमिशन वाली है। पर अभी हाइड्रोजन प्रोडक्शन में कार्बन निकलता है।
  • कीमत: इलेक्ट्रिक कारें सस्ती हो रही हैं – 10-20 लाख रुपये में मिल जाती हैं। हाइड्रोजन कारें महंगी हैं, 50 लाख से ऊपर। लेकिन जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी फैलेगी, दाम गिरेंगे।
  • इंफ्रास्ट्रक्चर: इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन बढ़ रहे हैं – भारत में 10,000 से ज्यादा हैं। हाइड्रोजन स्टेशन बस कुछ ही देशों में हैं, भारत में तो गिनती के। ये बड़ी समस्या है।
  • सुरक्षा: इलेक्ट्रिक बैटरी में आग लगने का खतरा है, हालांकि रेयर। हाइड्रोजन गैस ज्वलनशील है, लेकिन टैंक मजबूत बनाए जाते हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में इलेक्ट्रिक कारों की सेल्स 10 मिलियन से ऊपर पहुंची, जबकि हाइड्रोजन कारें सिर्फ हजारों में। लेकिन भविष्य में बदलाव आ सकता है।

भविष्य में क्या होगा? एक्सपर्ट्स की राय

अब सवाल ये है – किसका फ्यूचर ब्राइट? इलेक्ट्रिक कारें अभी लीड कर रही हैं। कंपनियां जैसे टेस्ला, बीवाईडी निवेश कर रही हैं। भारत सरकार भी ईवी को प्रमोट कर रही है – सब्सिडी दे रही है। 2030 तक 30% कारें इलेक्ट्रिक होने का टारगेट है।

लेकिन हाइड्रोजन को मत भूलो। यूरोप और जापान में बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं। हाइड्रोजन काउंसिल का कहना है कि 2050 तक हाइड्रोजन 18% एनर्जी देगी। भारत में भी नीति आयोग हाइड्रोजन मिशन पर काम कर रहा है। अगर हाइड्रोजन प्रोडक्शन सस्ता हो गया, तो ये इलेक्ट्रिक को टक्कर दे सकती है।

मेरा मानना है कि दोनों साथ चलेंगी। छोटी कारों के लिए इलेक्ट्रिक, बड़ी गाड़ियों के लिए हाइड्रोजन। जैसे स्मार्टफोन और लैंडलाइन – दोनों की जगह है।

चुनौतियां और समाधान: रास्ता साफ करने की जरूरत

दोनों तकनीकों में चुनौतियां हैं। इलेक्ट्रिक में बैटरी की लाइफ – 5-10 साल बाद बदलनी पड़ती है, महंगी। हाइड्रोजन में सप्लाई चेन – गैस कैसे ट्रांसपोर्ट करो? लेकिन समाधान निकल रहे हैं। सोलर से हाइड्रोजन बनाना, फास्ट चार्जर लगाना।

भारत जैसे देश में, जहां बिजली ग्रिड कमजोर है, हाइड्रोजन लोकल प्रोडक्शन से फायदा दे सकती है। लेकिन इलेक्ट्रिक कारें पहले से पॉपुलर हैं, तो उनका मार्केट बड़ा होगा।

निष्कर्ष: आप क्या चुनें?

अंत में, अगर आप आज कार खरीद रहे हैं, तो इलेक्ट्रिक चुनें – ये उपलब्ध है, सस्ती है, और सपोर्ट अच्छा। लेकिन अगर 10 साल बाद देखें, तो हाइड्रोजन का सूरज चमक सकता है। दोनों ही पर्यावरण बचाने में मदद करेंगी। याद रखो, चुनाव तुम्हारा है – अपनी जरूरत देखो। क्या कहते हो, कमेंट में बताओ कि तुम किसके साथ हो?

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FAQs

इलेक्ट्रिक कार और हाइड्रोजन कार में क्या अंतर है?

इलेक्ट्रिक कार बैटरी से चलती है, जिसे चार्ज करना पड़ता है। हाइड्रोजन कार फ्यूल सेल से बिजली बनाती है, हाइड्रोजन गैस भरकर।

कौन-सी कार ज्यादा पर्यावरण के लिए अच्छी है?

दोनों क्लीन हैं। इलेक्ट्रिक कार की बैटरी रिसाइक्लिंग मुश्किल है, हाइड्रोजन अगर ग्रीन हो तो जीरो एमिशन देती है।

चार्जिंग या रिफिलिंग में कितना समय लगता है?

इलेक्ट्रिक कार को 30 मिनट से 8 घंटे, हाइड्रोजन कार को 3-5 मिनट।

कौन-सी सस्ती है?

अभी इलेक्ट्रिक कार सस्ती (10-20 लाख), हाइड्रोजन कार महंगी (50 लाख से ज्यादा)।

भविष्य में कौन-सी कार ज्यादा चलेगी?

इलेक्ट्रिक कार अभी लीड में है, लेकिन हाइड्रोजन 2030-2050 तक मजबूत हो सकती है।

Mr Vishal Ojha

Mr Vishal Ojha

मेरा नाम विशाल ओझा है और में पूछ 4 साल से Blogging और कंटेंट राइटिंग वेबसाइट डिजाइनिंग कर रहा हूँ .  और इसके साथ ही मुझे बाइक के बारें में पड़ना और लिखना भी बहुत पसंद है।  जिसकी वजह से इस साइट पर भी बाइक से सम्बंधित अपडेट अपनी टीम के साथ में दे रहा हूँ इस साइट पर आर्टिकल पब्लिश करने से पहले में सभी डिटेल्स और पैरामीटर को अच्छे से फैक्ट चेक करता हु .  और फिर ही इस साइट पर पब्लिश करता हूँ .

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