Tata Hydrogen Truck : भारत की सबसे बड़ी वाणिज्यिक वाहन निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए देश के पहले हाइड्रोजन से चलने वाले भारी-भरकम ट्रकों का परिक्षण शुरू किया है। यह पहल भारत के 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इसकी वजह से हम सभी मिलकर इको फ्रेंडली ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा दे सकते है .

मीडिया की माने तो यह परिक्षण 24 महीनों तक चलेगा और इसमें 16 उन्नत हाइड्रोजन ट्रकों को भारत के प्रमुख मालवाहक मार्गों, जैसे मुंबई, पुणे, दिल्ली-एनसीआर, सूरत, वडोदरा, जमशेदपुर और कलिंगनगर पर चलाया जाएगा। आज के इस आर्टिकल में हम आपको टाटा के द्वारा विकसित किये जाने वाले हाइड्रोजन ट्रक के बारें में बताने जा रहें है .
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जैसा की आपको पता ही होगा की हाइड्रोजन बाइक और कार के बाद भारत में अब हाइड्रोजन गैस से चलने वाले बस और ट्रक पर काम किया जा रहा है . इंटरनेट पर मिली जानकारी के मुताबिक जॉय कंपनी भारत की पहले हाइड्रोजन गैस से चलने वाली स्कूटर, इंडियन आयल कारपोरेशन ने हाइड्रोजन बस और अब टाटा हाइड्रोजन गैस से चलने वाला ट्रक लाने की तयारी में है .
Tata Hydrogen Truck
टाटा मोटर्स ने भारत में हाइड्रोजन से चलने वाले ट्रकों की शुरुआत कर एक नया मोड़ लिया है। इस पहल को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने हरी झंडी दिखाकर शुरू किया।
यह ट्रक हाइड्रोजन इंटरनल कंबशन इंजन (H2-ICE) और हाइड्रोजन फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहन (FCEV) तकनीकों पर आधारित हैं, जो शून्य उत्सर्जन और अधिक रेंज के मामले में बेहतर होने वाला है । इस आर्टिकल में हम आपको में हम इस ट्रक की विशेषताओं, प्रदर्शन पर चर्चा करेंगे, ताकि पाठकों को इस क्रांतिकारी ट्रक की पूरी जानकारी मिल सके।
लॉन्च डेट
टाटा मोटर्स ने 4 मार्च 2025 को भारत में अपने पहले हाइड्रोजन ट्रक की टेस्टिंग शुरू किया। इस ऐतिहासिक पहल को नितिन गडकरी और प्रल्हाद जोशी ने नई दिल्ली में ताज पैलेस में हरी झंडी दिखाकर शुरू किया। यह 24 महीने का परीक्षण भारत के प्रमुख मालवाहक मार्गों पर होगा।
जिसमें तीन प्रमुख ट्रक मॉडल – टाटा प्राइमा H.55S H2-ICE, टाटा प्राइमा H.55S FCEV, और टाटा प्राइमा H.28 H2-ICE शामिल हैं। यह पहल राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत शुरू की गई है, जिसे भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा फाइनेंसिअली हेल्प भी की गई है .
फीचर और स्पेसिफिकेशन
टाटा मोटर्स के Hydrogen Truck आधुनिक तकनीक और पर्यावरण के अनुकूल विशेषताओं से लैस हैं। इनमें प्रीमियम प्राइमा केबिन, उन्नत ड्राइवर सहायता प्रणाली, और सुरक्षा सुविधाएं जैसे हाइड्रोजन रिसाव डिटेक्शन सिस्टम और मजबूत ईंधन टैंक शामिल हैं। ये ट्रक हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक का उपयोग करते हैं.

जो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की रासायनिक प्रतिक्रिया से बिजली जेनेरेट करता है। इसका एकमात्र उप-उत्पाद जलवाष्प है, जो इसे शून्य उत्सर्जन वाला वाहन बनाता है। इसके अलावा, ये ट्रक तेजी से ईंधन भरने की सुविधा प्रदान करते हैं, जो डीजल ट्रकों की तरह कुछ ही मिनटों में पूरा हो जाता है।
माइलेज और रेंज
जानकारी के मुताबिक टाटा मोटर्स के हाइड्रोजन ट्रक एक बार ईंधन भरने पर 300 से 500 किलोमीटर की रेंज प्रदान करते हैं। यह लंबी दूरी की माल ढुलाई के लिए आदर्श है, क्योंकि यह बार-बार रुकने की जरूरत को कम करता है।
इन ट्रकों की माइलेज विभिन्न परिस्थितियों जैसे शहरी और हाईवे ड्राइविंग, और अलग-अलग पेलोड स्तरों पर परीक्षण की जाएगी। यह रेंज बैटरी-इलेक्ट्रिक वाहनों की तुलना में अधिक प्रतिस्पर्धी है, क्योंकि हाइड्रोजन ट्रकों का वजन-से-भार अनुपात बेहतर है, जिससे वे भारी माल ढुलाई के लिए उपयुक्त हैं।
टॉप स्पीड
टाटा मोटर्स ने हाइड्रोजन ट्रकों की टॉप स्पीड के बारे में आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की है। हालांकि, ये ट्रक उच्च प्रदर्शन और दक्षता के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जो लंबी दूरी की माल ढुलाई के लिए उपयुक्त हैं।
इनका डिज़ाइन ड्राइवर की थकान को कम करने और उत्पादकता बढ़ाने पर केंद्रित है। परीक्षण के दौरान शहरी और हाईवे दोनों परिस्थितियों में इनके प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाएगा, जिससे उनकी गति और दक्षता के बारे में और जानकारी मिलेगी।
इंजन कैपेसिटी
टाटा मोटर्स के हाइड्रोजन ट्रक दो प्रकार की तकनीकों पर आधारित हैं – हाइड्रोजन इंटरनल कंबशन इंजन (H2-ICE) और हाइड्रोजन फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहन (FCEV)। टाटा प्राइमा H.28 में चार-सिलेंडर H2-ICE इंजन है, जो शक्तिशाली और पर्यावरण के अनुकूल है।
ये इंजन डीजल की तुलना में हाइड्रोजन का उपयोग करते हैं, जिससे कोई कार्बन उत्सर्जन नहीं होता। FCEV तकनीक में हाइड्रोजन फ्यूल सेल बिजली उत्पन्न करता है, जो इलेक्ट्रिक मोटर को शक्ति देता है। इन इंजनों की सटीक क्षमता का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन ये भारी-भरकम माल ढुलाई के लिए पर्याप्त शक्ति प्रदान करते हैं।
फाइनेंस प्लान
जैसा की हमने आपको बताया की अभी तक कंपनी ने इसे लांच नहीं किया है . ये केवल ट्रायल के तौर पर शुरू किये गए है . कर जल्द ही उपयोग में लिए जा सकते है। इसलिए टाटा मोटर्स ने अभी तक हाइड्रोजन ट्रकों की कीमत या वित्त योजनाओं के बारे में आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की है.

क्योंकि यह अभी परीक्षण चरण में है। हालांकि, राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत सरकार द्वारा वित्त पोषण किया जा रहा है, जिससे भविष्य में इन ट्रकों की खरीद के लिए सब्सिडी या विशेष वित्त योजनाएं उपलब्ध हो सकती हैं। टाटा मोटर्स ने पहले भी अपने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए किफायती वित्त योजनाएं पेश की हैं, और संभावना है कि हाइड्रोजन ट्रकों के लिए भी ऐसी योजनाएं शुरू की जाएंगी।
अंतिम शब्दों में
इस आर्टिकल के अंतिम शब्दों में यही कहना चाहूंगा की टाटा मोटर्स का हाइड्रोजन ट्रक भारत के ट्रांसपोर्ट क्षेत्र में एक इतिहासिक कदम है। यह पहल न केवल पर्यावरण के अनुकूल परिवहन को बढ़ावा देती है, बल्कि भारत को ऊर्जा स्वतंत्रता और शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य की ओर ले जाती है।
जानकारी के मुताबिक इस फ्यूल सेल ट्रक की रेंज लगभग 300-500 किमी हो सकती है. इसमें सुरक्षा सुविधाओं और तेजी से ईंधन भरने की क्षमता के साथ, ये ट्रक लंबी दूरी की माल ढुलाई के लिए एक आशाजनक विकल्प हैं। यानी की ये ट्रक अधिक लोडिंग के लिए पेट्रोल और डीज़ल के मुकाबले ज्यादा बजन उठा सकता है। यह परीक्षण भारत के ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की नींव रख सकता है, और टाटा मोटर्स इस दिशा में नेतृत्व कर रहा है।
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FAQs
टाटा मोटर्स का हाइड्रोजन ट्रक कब लॉन्च हुआ?
टाटा मोटर्स ने 4 मार्च 2025 को भारत में अपने पहले हाइड्रोजन ट्रक का परिक्षण शुरू किया।
इस ट्रक की रेंज कितनी है?
यह ट्रक एक बार ईंधन भरने पर 300 से 500 किलोमीटर की रेंज प्रदान करता है।
क्या हाइड्रोजन ट्रक पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं?
हां, ये ट्रक शून्य कार्बन उत्सर्जन करते हैं, क्योंकि इनका एकमात्र उप-उत्पाद जलवाष्प है।
क्या इन ट्रकों के लिए वित्त योजना उपलब्ध है?
अभी परीक्षण चरण में होने के कारण वित्त योजनाओं की जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन भविष्य में सब्सिडी या योजनाएं शुरू हो सकती हैं।
ये ट्रक किन मार्गों पर परीक्षण किए जाएंगे?
इन ट्रकों का परीक्षण मुंबई, पुणे, दिल्ली-एनसीआर, सूरत, वडोदरा, जमशेदपुर और कलिंगनगर जैसे प्रमुख मालवाहक मार्गों पर होगा।